नई दिल्ली। पेट्रोल-डीजल की कीमतों में कटौती के बाद वित्त मंत्री अरुण जेटली ने इस मुद्दे पर विपक्ष को निशाने पर लिया है। उन्होंने तेल की कीमतों में वृद्धि के पीछे मौजूद अंतरराष्ट्रीय कारणों का जिक्र करते हुए कहा कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में क्रूड ऑइल की कीमतों में वृद्धि से उत्पन्न चुनौतियों को कुछ विपक्षी नेताओं के ट्वीट्स और टीवी पर दिए जाने वाले बयानों से कम नहीं किया जा सकता है। यह समस्या गंभीर है। तेल उत्पादक देशों ने उत्पादन को सीमित कर दिया है और इसलिए डिमांड-सप्लाई में अंतर पैदा हुआ है। जेटली ने बताए अंतरराष्ट्रीय कारण जेटली ने फेसबुक पर लिखे ब्लॉग में अंतरराष्ट्रीय कारणों का विस्तार से उल्लेख करते हुए कहा, वेनेजुएला और लिबिया में राजनीतिक संकट ने उन देशों के तेल उत्पादन पर बुरा असर डाला है। ईरान पर अमेरिकी प्रतिबंधों ने इसके बायर्स के लिए आपूर्ति अनिश्चितता को बढ़ा दिया है। क्रूड ऑइल की कीमतों पर लगाम के उद्देश्य से लाए जाने वाला शेल गैस का कमर्शल उत्पादन शेड्यूल से पीछे है।तेल कीमतों में बढ़ोतरी का चालू खाते पर पड़ा है असर: जेटली वित्त मंत्री ने कहा, कच्चे तेल की कीमत अधिक होने का असर मुद्रा पर भी पड़ा है। भारत का मैक्रोइकनॉमिक्स आधार, वित्तीय घाटा, मुद्रास्फीति, विदेशी मुद्रा भंडार आदि पूरी तरह स्थिर हैं। टैक्स कलेक्शन बढ़ रहा है। हालांकि, क्रूड ऑइल की महंगाई का चालू खाता घाटे पर बुरा असर पड़ रहा है। यह करंसी पर प्रभाव डाल रहा है। इसके अलावा, डॉलर में मजूबती का अधिकतर ग्लोबल करंसीज पर असर हुआ है। उपर बताए गए दोनों कारकों का असर फ्यूल की कीमतों पर पड़ा है। जेटली ने कहा, क्रूड ऑइल की कीमत अप्रैल और मई में बढ़ी। इसे बाद कुछ कम हुआ, लेकिन फिर यह चार साल के सर्वोच्च स्तर पर पहुंच गया। तेल की कीमत एक सीधी रेखा में नहीं चलती है। अंतरराष्ट्रीय कारणों की वजह से यह बढ़ता और घटता रहता है। इस मुद्दे पर मीडिया को लेकर उन्होंने कहा, जब तेल की कीमतें बढ़ती हैं तो मीडिया का एक हिस्सा अत्यधिक रिपोर्ट देता है, लेकिन कीमतों कमी को नहीं दिखाता है।जेटली ने पेट्रोल-डीजल पर एक्साइज ट्यूटी में कटौती और ओएमसी के साथ मिलकर उपभोक्ताओं को 2.50 रुपये प्रति लीटर की राहत देने का जिक्र करते हुए कहा कि अभी कई गैर बीजेपी और गैर एनडीए राज्यों ने उपभोक्ताओं को राहत नहीं दी है। उन्होंने कहा, जब जनता को राहत देने की बात आती है तो क्या राहुल गांधी और उनके अनिच्छुक सहयोगी केवल ट्वीट और टेलिविजन बयानों तक प्रतिबद्ध हैं। 2017 और 18 में गैर बीजेपी शासित राज्यों ने लोगों को अपने राजस्व से कुछ राहत देने से इनकार कर दिया। वे ट्वीट करते हैं और टीवी पर बयान देते हैं, लेकिन जब परफॉर्मेंस की बात आती है तो दूसरी ओर देखने लगते हैं। उन्होंने विपक्ष पर पलटवार करते हुए कहा, विपक्ष के आलोचक क्रूड ऑइल में तेजी का राजनीतिक फायदा उठाते हैं। यह उनके बयानों से भी साफ होता है। कल जब तेल की कीमतें घटाई गईं, आलोचकों ने कहा मुंह घुमा लिया और तर्क दिया कि यह खराब अर्थव्यवस्था है।उन्होंने आगे कहा, मैं साफ कर दूं कि तेल की कीमतों को दोबारा नियंत्रण में नहीं लाया जा सकता है। यहां तक कि राहुल गांधी, जिनकी पार्टी ने यूपीए-2 के दौरान 5 सालों तक देश पर दोहरे अंकों में मुद्रास्फीति थोपी, ने भी कीमतों में कटौती के लिए टीवी पर कोई बयान या ट्वीट नहीं किया। वित्त मंत्री ने एनडीए सरकार की तारीफ करते हुए
घाटे को कम करने में कामयाब रहे हैं और आगे भी ऐसा करते रहेंगे।वित्त मंत्री ने जनता को राहत पहुंचाने वाले कदमों का जिक्र करते हुएलिखा, कोई भी सरकार जनता के प्रति संवेदनहीन नहीं हो सकती है। पिछले चार बजट में मोदी सरकार ने छोटे और मध्यम टैक्स पेयर्स लगातार कुछ राहत दी है। इन छूटों का संचीय प्रभाव सालाना 97,000 करोड़ रुपये है। पहले 13 महीनों में 334 वस्तुओं पर जीएसटी रेट्स में कटौती से उपभोक्ताओं को सालाना 80,000 करोड़ रुपये की बचत हुई है।